द फॉलोअप डेस्क
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर अमेरिका की किसी भूमिका से साफ इनकार कर दिया है। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद ट्रंप का यह बयान सामने आया है। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत और पाकिस्तान "किसी न किसी तरह" आपस में समाधान निकाल लेंगे।
ट्रंप, जो पहले अपने कार्यकाल में दोनों देशों के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर चुके हैं, इस बार कहीं अधिक सतर्क नज़र आए। रोम के लिए रवाना होते समय, जब पत्रकारों ने उनसे इस मुद्दे पर सवाल किए, तो उन्होंने न तो कोई मध्यस्थता का प्रस्ताव रखा और न ही ज्यादा बातचीत को जरूरी बताया। ट्रंप पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए जा रहे थे।
चुटीले अंदाज़ में ट्रंप ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव "1500 साल से" चला आ रहा है — जो कि ऐतिहासिक तथ्य से काफी परे है। उन्होंने आगे जोड़ा, "मुझे दोनों नेताओं पर भरोसा है, वे इसका हल निकाल लेंगे।"
भारत ने हमेशा बाहरी मध्यस्थता से इनकार किया है, चाहे बात पाकिस्तान के साथ सीमा विवाद की हो या चीन के साथ। इसके विपरीत पाकिस्तान अक्सर तीसरे पक्ष के दखल की मांग करता रहा है, लेकिन इस बार उसकी ओर से ऐसी कोई औपचारिक अपील सामने नहीं आई है।
ट्रंप की पिछली मध्यस्थता की पेशकश तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के अनुरोध के बाद हुई थी, जिसे भारत ने तत्काल खारिज कर दिया था। अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने भारत-चीन सीमा विवाद में भी मध्यस्थता की बात कही थी, जिसे भारत ने फिर से ठुकरा दिया था। हालांकि इस बार, ट्रंप ने मध्यस्थता की कोई पहल नहीं की। इसके बजाय उन्होंने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत को समर्थन देने का भरोसा जताया।
हमले के कुछ घंटों बाद ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात कर संवेदना व्यक्त की और अमेरिका की ओर से हर संभव समर्थन का आश्वासन दिया। व्हाइट हाउस ने भी हमले को लेकर तत्काल बयान जारी किया। साथ ही अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने भी एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, "हम भारत के साथ हैं और इस जघन्य हमले के दोषियों को सज़ा दिलाने में हर संभव मदद करेंगे।"